काम
काम काम काम काम काम काम काम
काम के लिए पूरे दिन घर से दूर
सुबह जल्दी निकलता
वापस आता रात को
देखो उसका थका सा वह चेहरा
फिर वह क्या करता
घर वापस आते ही चिल्लाता
खाना खाते ही सो जाता
बंद करता अपना मुँह
खोलता तो अपना मोबाइल
क्यों जीना होता है यह ज़िंदगी
किस लिए करना होता है काम
अगर दिन ऐसे ही गुज़र जाता है तो
हम आख़िर किस लिए कमाते हैं पैसे
लगता है ये सवाल उठाना भी नहीं चाहिए
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